एक बार वैप्रचिति नाम के असूर ने बहुत से कुकर्म करके पृथ्वीसासियो और देवलोक में देवाताओ का जीवन दुभर कर दिया। देवताओ और पृथ्वी वासियो की प्रार्थना पर दुर्गा देवी ने रक्तदन्तिका नाम से अवतार लिया । देवी ने वैप्रचिति आदि असुरो का रक्तपाल करके मागदर्शन कर डाला । देवी ने रक्तपान करने के कारण इसका नाम रक्तदन्तिका पडा।