वन्दे वांछितलाभायाचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
वृषारूढांशूलधरांशैलपुत्रीयशस्विनीम्।
पूणेन्दुनिभांगौरी मूलाधार स्थितांप्रथम दुर्गा त्रिनेत्रा।
पटाम्बरपरिधानांरत्नकिरीठांनानालंकारभूषिता।
प्रफुल्ल वंदना पल्लवाधंराकातंकपोलांतुगकुचाम्।
कमनीयांलावण्यांस्मेरमुखीक्षीणमध्यांनितम्बनीम्।
स्तोत्र :- प्रथम दुर्गा त्वंहिभवसागर तारणीम्।
धन ऐश्वर्य दायनींशैलपुत्रीप्रणमाम्हम्।
चराचरेश्वरीत्वंहिमहामोह विनाशिन।
भुक्ति मुक्ति दायनी,शैलपुत्रीप्रणमाम्यहम्।
कवच :- ओमकार: मेशिर: पातुमूलाधार निवासिनी
हींकारपातुललाटेबीजरूपामहेश्वरी।
श्रींकारपातुवदनेलज्जारूपामहेश्वरी।
हुंकार पातुहृदयेतारिणी शक्ति स्वघृत।
फट्कार:पातुसर्वागेसर्व सिद्धि फलप्रदा। |