वैसे तो प्रत्येक मास की पूर्णिमा तिथि पवित्र मानी जाती है । इस दिन स्त्री, पुरूष, बाल, वृद्ध, पवित्र नदियो में स्नान कर अपने को पवित्र बनाते है। इस दिन घरो में स्त्रियाँ भगवान लक्ष्मी नारायण को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखती हैं और प्रभु सत्यनारायण की कथा सुनाती है। चैत्र मास की पूर्णिमा को चैती पूनम भी कहा जाता है । इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी अनन्त योग शक्ति से अपने असंख्य रूप धारण कर जितनी गोपी उतने ही कान्हा का विराट् रूप धारण कर विषय लोलुपता के देवता कामदेव को योग पराक्रम से आत्माराम और पूर्ण काम स्थित प्रकट करके विजय प्राप्त की थी । भगवान श्रीकृष्ण के योगनिष्ठा बल की यह सबसे कठिन परीक्षा थी । जिसे उन्होने अनासक्त भाव से निस्पृह रहकर योगारूढ पद से विषय से रास पंचाध्यायी के श्रीकृष्ण के रास को तात्विक दृष्टि से श्रवण और मनन करना चाहीए । शास्त्रो में मतैक्य न होने पर चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को हनुमान जी का जन्म दिवस मनाया जाता हैं वैसे वायु-पुराणादिको के अनुसार कार्तिक की चौदस के दिन हनुमान जयन्ती अधिक प्रचलित है । इस दिन हनुमान जी को सजाकर उनकी पूजा अर्चना एवं आरती करें । भोग लगाकर सबको प्रसाद देना चाहीए ।