आषाढ शुक्ल एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते है पुराणो मे उल्लेख आया है कि इस दिन से भगवान विष्णु चार मास तक पाताल लोक में निवास करते है और कार्तिक मास कि शुक्ल पक्ष की एकादशी को प्रस्थान करते है इसी कारण इसे देवशयनी तथा कार्तिक मास वाली एकादशी को देवोत्थानी एकादशी कहते है आषाढ मास से कार्तिक मास तक के समय को चातुमास्य कहते है इन चार महीनो में भगवान क्षीर सागर की अन्नत शैया पर शयन करते है इसलिए इन चार महीन में विवाहादि शुभ कार्य करना वर्जित है इन दिनो में साधु लोग एक ही स्थान पर रहकर तपस्या करते है ।
कथाः सतयुग में मान्धाता नगर मे एक चक्रवती राजा राज्य करता था एक बार उनके राज्य में तीन वर्ष तक का सूखा पड गया था राजा के दरबार में प्रजा ने दुहाई मचाई राजा सोचने लगा कि मेरे से तो कोई बुरा काम नही हो गया जिससे मेरे राज्य में सूखा पड गया राजा प्रजा का दुःख दुर करने के लिए जंगल मे अंगिरा ऋषि के आश्रम में पहुँचे मुनि ने राजा का आश्रम आने का कारण पूछा राजा ने कर-बद्ध होकर प्रार्थना की,”भगवान मैने सब प्रकार से धर्म का पालन किया है फिर भी मेरे राज्य में सूखा पड गया।“तब ऋषि ने आषाढ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने को कहा इस व्रत के प्रभाव से अवश्य वर्षा होगी ।